फिर उन लोगों[1] ने उचित समझा, इसके पश्चात् कि निशानियाँ देख[2] लीं कि उस (यूसुफ़) को एक अवधि तक के लिए बंदी बना दें।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari