Surah Yusuf Verse 77 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah Yusuf۞قَالُوٓاْ إِن يَسۡرِقۡ فَقَدۡ سَرَقَ أَخٞ لَّهُۥ مِن قَبۡلُۚ فَأَسَرَّهَا يُوسُفُ فِي نَفۡسِهِۦ وَلَمۡ يُبۡدِهَا لَهُمۡۚ قَالَ أَنتُمۡ شَرّٞ مَّكَانٗاۖ وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا تَصِفُونَ
उन्होंने कहा, "यदि यह चोरी करता है तो चोरी तो इससे पहले इसका एक भाई भी कर चुका है।" किन्तु यूसुफ़ ने इसे अपने जी ही में रखा और उनपर प्रकट नहीं किया। उसने कहा, "मक़ाम की दृष्टि से तुम अत्यन्त बुरे हो। जो कुछ तुम बताते हो, अल्लाह को उसका पूरा ज्ञान है।