(हे नबी!)आप उन्हें छोड़ दें, वे खाते तथा आनन्द लेते रहें और उन्हें आशा निश्चेत किये रहे, फिर शीघ्र ही वे जान लेंगे[1]।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari