وَٱصۡبِرۡ وَمَا صَبۡرُكَ إِلَّا بِٱللَّهِۚ وَلَا تَحۡزَنۡ عَلَيۡهِمۡ وَلَا تَكُ فِي ضَيۡقٖ مِّمَّا يَمۡكُرُونَ
और (हे नबी!) आप सहन करें और आपका सहन करना अल्लाह ही की सहायता से है और उनके (दुर्व्यवहार) पर शोक न करें और न उनके षड्यंत्र से तनिक भी संकुचित हों।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari