Surah An-Nahl Verse 28 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Nahlٱلَّذِينَ تَتَوَفَّىٰهُمُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ ظَالِمِيٓ أَنفُسِهِمۡۖ فَأَلۡقَوُاْ ٱلسَّلَمَ مَا كُنَّا نَعۡمَلُ مِن سُوٓءِۭۚ بَلَىٰٓۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمُۢ بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग (कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो फरिश्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह वाक़िफ हैं