وَكُلَّ إِنسَٰنٍ أَلۡزَمۡنَٰهُ طَـٰٓئِرَهُۥ فِي عُنُقِهِۦۖ وَنُخۡرِجُ لَهُۥ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ كِتَٰبٗا يَلۡقَىٰهُ مَنشُورًا
और प्रत्येक मनुष्य के कर्मपत्र को हमने उसके गले का हार बना दिया है और हम उसके लिए प्रलय के दिन एक कर्मलेख निकालेंगे, जिसे वह खुला हुआ पायेगा।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari