Surah Al-Isra Verse 57 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Israأُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ يَدۡعُونَ يَبۡتَغُونَ إِلَىٰ رَبِّهِمُ ٱلۡوَسِيلَةَ أَيُّهُمۡ أَقۡرَبُ وَيَرۡجُونَ رَحۡمَتَهُۥ وَيَخَافُونَ عَذَابَهُۥٓۚ إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ كَانَ مَحۡذُورٗا
ये लोग जिनको मुशरेकीन (अपना ख़ुदा समझकर) इबादत करते हैं वह खुद अपने परवरदिगार की क़ुरबत के ज़रिए ढूँढते फिरते हैं कि (देखो) इनमें से कौन ज्यादा कुरबत रखता है और उसकी रहमत की उम्मीद रखते और उसके अज़ाब से डरते हैं इसमें शक़ नहीं कि तेरे परवरदिगार का अज़ाब डरने की चीज़ है