وَلَقَدۡ صَرَّفۡنَا لِلنَّاسِ فِي هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانِ مِن كُلِّ مَثَلٖ فَأَبَىٰٓ أَكۡثَرُ ٱلنَّاسِ إِلَّا كُفُورٗا
और हमने तो लोगों (के समझाने) के वास्ते इस क़ुरान में हर क़िस्म की मसलें अदल बदल के बयान कर दीं उस पर भी अक्सर लोग बग़ैर नाशुक्री किए नहीं रहते
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi