Surah Al-Kahf Verse 17 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Kahf۞وَتَرَى ٱلشَّمۡسَ إِذَا طَلَعَت تَّزَٰوَرُ عَن كَهۡفِهِمۡ ذَاتَ ٱلۡيَمِينِ وَإِذَا غَرَبَت تَّقۡرِضُهُمۡ ذَاتَ ٱلشِّمَالِ وَهُمۡ فِي فَجۡوَةٖ مِّنۡهُۚ ذَٰلِكَ مِنۡ ءَايَٰتِ ٱللَّهِۗ مَن يَهۡدِ ٱللَّهُ فَهُوَ ٱلۡمُهۡتَدِۖ وَمَن يُضۡلِلۡ فَلَن تَجِدَ لَهُۥ وَلِيّٗا مُّرۡشِدٗا
(ग़रज़ ये ठान कर ग़ार में जा पहुँचे) कि जब सूरज निकलता है तो देखेगा कि वह उनके ग़ार से दाहिनी तरफ झुक कर निकलता है और जब ग़ुरुब (डुबता) होता है तो उनसे बायीं तरफ कतरा जाता है और वह लोग (मजे से) ग़ार के अन्दर एक वसीइ (बड़ी) जगह में (लेटे) हैं ये ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों में से (एक निशानी) है जिसको हिदायत करे वही हिदायत याफ्ता है और जिस को गुमराह करे तो फिर उसका कोई सरपरस्त रहनुमा हरगिज़ न पाओगे