إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُۚ وَٱذۡكُر رَّبَّكَ إِذَا نَسِيتَ وَقُلۡ عَسَىٰٓ أَن يَهۡدِيَنِ رَبِّي لِأَقۡرَبَ مِنۡ هَٰذَا رَشَدٗا
परन्तु ये कि अल्लाह[1] चाहे तथा अपने पालनहार को याद करें, जब भूल जायेँ और कहें: संभव है, मेरा पालनहार मुझे इससे समीप सुधार का मार्ग दर्शा दे।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari