۞مَّآ أَشۡهَدتُّهُمۡ خَلۡقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَلَا خَلۡقَ أَنفُسِهِمۡ وَمَا كُنتُ مُتَّخِذَ ٱلۡمُضِلِّينَ عَضُدٗا
मैंने उन्हें उपस्थित नहीं किया, आकाशों तथा धरती की उतपत्ति के समय और न स्वयं उनकी उत्पत्ति के समय और न मैं कुपथों को सहायक[1] बनाने वाला हूँ।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari