قَالَ هَٰذَا فِرَاقُ بَيۡنِي وَبَيۡنِكَۚ سَأُنَبِّئُكَ بِتَأۡوِيلِ مَا لَمۡ تَسۡتَطِع عَّلَيۡهِ صَبۡرًا
उसने कहाः ये मेरे तथा तुम्हारे बीच वियोग है। मैं तुम्हें उसकी वास्तविक्ता बताऊँगा, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari