فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوۡمِهِۦ مِنَ ٱلۡمِحۡرَابِ فَأَوۡحَىٰٓ إِلَيۡهِمۡ أَن سَبِّحُواْ بُكۡرَةٗ وَعَشِيّٗا
फिर वह मेह़राब (चाप) से निकलकर अपनी जाति के पास आया और उन्हें संकेत द्वारा आदेश दिया कि उस (अल्लाह) की पवित्रता का वर्णन करो, प्रातः तथा संध्या।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari