وَإِنِّي خِفۡتُ ٱلۡمَوَٰلِيَ مِن وَرَآءِي وَكَانَتِ ٱمۡرَأَتِي عَاقِرٗا فَهَبۡ لِي مِن لَّدُنكَ وَلِيّٗا
और मुझे अपने भाई-बंदों से भय[1] है, अपने (मरण) के पश्चात् तथा मेरी पत्नी बाँझ है, अतः मुझे अपनी ओर से एक उत्तराधिकारी प्रदान कर दे।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari