Surah Al-Baqara Verse 270 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Baqaraوَمَآ أَنفَقۡتُم مِّن نَّفَقَةٍ أَوۡ نَذَرۡتُم مِّن نَّذۡرٖ فَإِنَّ ٱللَّهَ يَعۡلَمُهُۥۗ وَمَا لِلظَّـٰلِمِينَ مِنۡ أَنصَارٍ
और तुम जो कुछ भी ख़र्च करो या कोई मन्नत मानो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है और (ये भी याद रहे) कि ज़ालिमों का (जो) ख़ुदा का हक़ मार कर औरों की नज़्र करते हैं (क़यामत में) कोई मददगार न होगा