ٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمۡوَٰلَهُم بِٱلَّيۡلِ وَٱلنَّهَارِ سِرّٗا وَعَلَانِيَةٗ فَلَهُمۡ أَجۡرُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ وَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ
जो लोग अपने माल रात-दिन छिपे और खुले ख़र्च करें, उनका बदला तो उनके रब के पास है, और न उन्हें कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed