فَأَجۡمِعُواْ كَيۡدَكُمۡ ثُمَّ ٱئۡتُواْ صَفّٗاۚ وَقَدۡ أَفۡلَحَ ٱلۡيَوۡمَ مَنِ ٱسۡتَعۡلَىٰ
तो तुम भी खूब अपने चलत्तर (जादू वग़ैरह) दुरूस्त कर लो फिर परा (सफ़) बाँध के (उनके मुक़ाबले में) आ पड़ो और जो आज डर रहा हो वही फायज़ुलहराम रहा
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi