لَا يَحۡزُنُهُمُ ٱلۡفَزَعُ ٱلۡأَكۡبَرُ وَتَتَلَقَّىٰهُمُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ هَٰذَا يَوۡمُكُمُ ٱلَّذِي كُنتُمۡ تُوعَدُونَ
वह सबसे बड़ी घबराहट उन्हें ग़म में न डालेगी। फ़रिश्ते उनका स्वागत करेगें, "यह तुम्हारा वही दिन है, जिसका तुमसे वादा किया जाता रहा है।
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed