وَلَهُۥ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَمَنۡ عِندَهُۥ لَا يَسۡتَكۡبِرُونَ عَنۡ عِبَادَتِهِۦ وَلَا يَسۡتَحۡسِرُونَ
और आकाशों और धरती में जो कोई है उसी का है। और जो (फ़रिश्ते) उसके पास है वे न तो अपने को बड़ा समझकर उसकी बन्दगी से मुँह मोड़ते है औऱ न वे थकते है
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed