وَأَصۡحَٰبُ مَدۡيَنَۖ وَكُذِّبَ مُوسَىٰۖ فَأَمۡلَيۡتُ لِلۡكَٰفِرِينَ ثُمَّ أَخَذۡتُهُمۡۖ فَكَيۡفَ كَانَ نَكِيرِ
तथा मद्यन वाले[1] और मूसा (भी) झुठलाये गये, तो मैंने अवसर दिया काफ़िरों को, फिर उन्हें पकड़ लिया, तो मेरा दण्ड कैसा रहा
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari