Surah Al-Hajj Verse 65 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Hajjأَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ سَخَّرَ لَكُم مَّا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَٱلۡفُلۡكَ تَجۡرِي فِي ٱلۡبَحۡرِ بِأَمۡرِهِۦ وَيُمۡسِكُ ٱلسَّمَآءَ أَن تَقَعَ عَلَى ٱلۡأَرۡضِ إِلَّا بِإِذۡنِهِۦٓۚ إِنَّ ٱللَّهَ بِٱلنَّاسِ لَرَءُوفٞ رَّحِيمٞ
क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने वश में कर दिया[1] है तुम्हारे, जो कुछ धरती में है तथा नाव को जो चलती है सागर में उसके आदेश से और रोकता है आकाश को धरती पर गिरने से, परन्तु उसकी अनुमति से? वास्तव में, अल्लाह लोगों के लिए अति करुणामय, दयान् है।