وَلَا نُكَلِّفُ نَفۡسًا إِلَّا وُسۡعَهَاۚ وَلَدَيۡنَا كِتَٰبٞ يَنطِقُ بِٱلۡحَقِّ وَهُمۡ لَا يُظۡلَمُونَ
और हम तो किसी शख्स को उसकी क़ूवत से बढ़के तकलीफ देते ही नहीं और हमारे पास तो (लोगों के आमाल की) किताब है जो बिल्कुल ठीक (हाल बताती है) और उन लोगों की (ज़र्रा बराबर) हक़ तलफी नहीं की जाएगी
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi