لَّوۡلَآ إِذۡ سَمِعۡتُمُوهُ ظَنَّ ٱلۡمُؤۡمِنُونَ وَٱلۡمُؤۡمِنَٰتُ بِأَنفُسِهِمۡ خَيۡرٗا وَقَالُواْ هَٰذَآ إِفۡكٞ مُّبِينٞ
ऐसा क्यों न हुआ कि जब तुम लोगों ने उसे सुना था, तब मोमिन पुरुष और मोमिन स्त्रियाँ अपने आपसे अच्छा गुमान करते और कहते कि "यह तो खुली तोहमत है
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed