Surah An-Noor Verse 33 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Noorوَلۡيَسۡتَعۡفِفِ ٱلَّذِينَ لَا يَجِدُونَ نِكَاحًا حَتَّىٰ يُغۡنِيَهُمُ ٱللَّهُ مِن فَضۡلِهِۦۗ وَٱلَّذِينَ يَبۡتَغُونَ ٱلۡكِتَٰبَ مِمَّا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُكُمۡ فَكَاتِبُوهُمۡ إِنۡ عَلِمۡتُمۡ فِيهِمۡ خَيۡرٗاۖ وَءَاتُوهُم مِّن مَّالِ ٱللَّهِ ٱلَّذِيٓ ءَاتَىٰكُمۡۚ وَلَا تُكۡرِهُواْ فَتَيَٰتِكُمۡ عَلَى ٱلۡبِغَآءِ إِنۡ أَرَدۡنَ تَحَصُّنٗا لِّتَبۡتَغُواْ عَرَضَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَاۚ وَمَن يُكۡرِههُّنَّ فَإِنَّ ٱللَّهَ مِنۢ بَعۡدِ إِكۡرَٰهِهِنَّ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
और उन्हें पवित्र रहना चाहिए, जो विवाह करने का सामर्थ्य नहीं रखते, यहाँ तक कि उन्हें धनी कर दे अल्लाह अपने अनुग्रह से तथा जो स्वाधीनता-लेख की माँग करें, तुम्हारे दास-दासियों में से, तो तुम उन्हें लिख दो, यदि तुम उनमें कुछ भलाई जानो[1] और उन्हें अल्लाह के उस माल से दो, जो उसने तुम्हें प्रदान किया है तथा बाध्य न करो अपनी दासियों को व्यभिचार पर, जब वे पवित्र रहना चाहती हैं,[2] ताकि तुम सांसारिक जीवन का लाभ प्राप्त करो और जो उन्हें बाध्य करेगा, तो अल्लाह उनके बाध्य किये जाने के पश्चात्,[3] अति क्षमी, दयावान् है।