Surah An-Noor Verse 40 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Noorأَوۡ كَظُلُمَٰتٖ فِي بَحۡرٖ لُّجِّيّٖ يَغۡشَىٰهُ مَوۡجٞ مِّن فَوۡقِهِۦ مَوۡجٞ مِّن فَوۡقِهِۦ سَحَابٞۚ ظُلُمَٰتُۢ بَعۡضُهَا فَوۡقَ بَعۡضٍ إِذَآ أَخۡرَجَ يَدَهُۥ لَمۡ يَكَدۡ يَرَىٰهَاۗ وَمَن لَّمۡ يَجۡعَلِ ٱللَّهُ لَهُۥ نُورٗا فَمَا لَهُۥ مِن نُّورٍ
(या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है