Surah An-Noor Verse 43 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Noorأَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يُزۡجِي سَحَابٗا ثُمَّ يُؤَلِّفُ بَيۡنَهُۥ ثُمَّ يَجۡعَلُهُۥ رُكَامٗا فَتَرَى ٱلۡوَدۡقَ يَخۡرُجُ مِنۡ خِلَٰلِهِۦ وَيُنَزِّلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مِن جِبَالٖ فِيهَا مِنۢ بَرَدٖ فَيُصِيبُ بِهِۦ مَن يَشَآءُ وَيَصۡرِفُهُۥ عَن مَّن يَشَآءُۖ يَكَادُ سَنَا بَرۡقِهِۦ يَذۡهَبُ بِٱلۡأَبۡصَٰرِ
क्या तूने उस पर भी नज़र नहीं की कि यक़ीनन ख़ुदा ही अब्र को चलाता है फिर वही बाहम उसे जोड़ता है-फिर वही उसे तह ब तह रखता है तब तू तो बारिश उसके दरमियान से निकलते हुए देखता है और आसमान में जो (जमे हुए बादलों के) पहाड़ है उनमें से वही उसे बरसाता है- फिर उन्हें जिस (के सर) पर चाहता है पहुँचा देता है- और जिस (के सर) से चाहता है टाल देता है- क़रीब है कि उसकी बिजली की कौन्द आखों की रौशनी उचके लिये जाती है