وَإِذَا دُعُوٓاْ إِلَى ٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ لِيَحۡكُمَ بَيۡنَهُمۡ إِذَا فَرِيقٞ مِّنۡهُم مُّعۡرِضُونَ
और जब बुलाये जाते हैं, अल्लाह तथा उसके रसूल की ओर, ताकि (रसूल) निर्णय कर दें उनके बीच (विवाद का), तो अकस्मात उनमें से एक गिरोह मुँह फेर लेता है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari