Surah An-Noor Verse 55 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Noorوَعَدَ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنكُمۡ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ لَيَسۡتَخۡلِفَنَّهُمۡ فِي ٱلۡأَرۡضِ كَمَا ٱسۡتَخۡلَفَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ وَلَيُمَكِّنَنَّ لَهُمۡ دِينَهُمُ ٱلَّذِي ٱرۡتَضَىٰ لَهُمۡ وَلَيُبَدِّلَنَّهُم مِّنۢ بَعۡدِ خَوۡفِهِمۡ أَمۡنٗاۚ يَعۡبُدُونَنِي لَا يُشۡرِكُونَ بِي شَيۡـٔٗاۚ وَمَن كَفَرَ بَعۡدَ ذَٰلِكَ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡفَٰسِقُونَ
अल्लाह ने वचन[1] दिया है उन्हें, जो तुममें से ईमान लायें तथा सुकर्म करें कि उन्हें अवश्य धरती में अधिकार प्रदान करेगा, जैसे उन्हें अधिकार प्रदान किया, जो इनसे पहले थे तथा अवश्य सुदृढ़ कर देगा उनके उस धर्म को, जिसे उनके लिए पसंद किया है तथा उन (की दशा) को उनके भय के पश्चात् शान्ति में बदल देगा, वह मेरी इबादत (वंदना) करते रहें और किसी चीज़ को मेरा साझी न बनायें और जो कुफ़्र करें इसके पश्चात्, तो वही उल्लंघनकारी हैं।