Surah An-Noor Verse 63 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Noorلَّا تَجۡعَلُواْ دُعَآءَ ٱلرَّسُولِ بَيۡنَكُمۡ كَدُعَآءِ بَعۡضِكُم بَعۡضٗاۚ قَدۡ يَعۡلَمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ يَتَسَلَّلُونَ مِنكُمۡ لِوَاذٗاۚ فَلۡيَحۡذَرِ ٱلَّذِينَ يُخَالِفُونَ عَنۡ أَمۡرِهِۦٓ أَن تُصِيبَهُمۡ فِتۡنَةٌ أَوۡ يُصِيبَهُمۡ عَذَابٌ أَلِيمٌ
और तुम मत बनाओ, रसूल के पुकारने को, परस्पर एक-दूसरे को पुकारने जैसा[1], अल्लाह तुममें से उन्हें जानता है, जो सरक जाते हैं, एक-दूसरे की आड़ लेकर। तो उन्हें सावधान रहना चाहिए, जो आपके आदेश का विरोध करते हैं कि उनपर कोई आपदा आ पड़े अथवा उनपर कोई दुःखदायी यातना आ जाये।