وَقَالُوٓاْ أَسَٰطِيرُ ٱلۡأَوَّلِينَ ٱكۡتَتَبَهَا فَهِيَ تُمۡلَىٰ عَلَيۡهِ بُكۡرَةٗ وَأَصِيلٗا
तो यक़ीनन ख़ुद उन ही लोगों ने ज़ुल्म व फरेब किया है और (ये भी) कहा कि (ये तो) अगले लोगों के ढकोसले हैं जिसे उसने किसी से लिखवा लिया है पस वही सुबह व शाम उसके सामने पढ़ा जाता है
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi