۞وَهُوَ ٱلَّذِي مَرَجَ ٱلۡبَحۡرَيۡنِ هَٰذَا عَذۡبٞ فُرَاتٞ وَهَٰذَا مِلۡحٌ أُجَاجٞ وَجَعَلَ بَيۡنَهُمَا بَرۡزَخٗا وَحِجۡرٗا مَّحۡجُورٗا
वही है, जिसने मिला दिया दो सागरों को, ये मीठा रुचिकार है और वो नमकीन खारा और उसने बना दिया दोनों के बीच एक पर्दा[1] एवं रोक।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari