إِنَّا مُنزِلُونَ عَلَىٰٓ أَهۡلِ هَٰذِهِ ٱلۡقَرۡيَةِ رِجۡزٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ بِمَا كَانُواْ يَفۡسُقُونَ
हम यक़ीनन इसी बस्ती के रहने वालों पर चूँकि ये लोग बदकारियाँ करते रहे एक आसमानी अज़ाब नाज़िल करने वाले हैं
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi