Surah Ar-Room Verse 30 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Ar-Roomفَأَقِمۡ وَجۡهَكَ لِلدِّينِ حَنِيفٗاۚ فِطۡرَتَ ٱللَّهِ ٱلَّتِي فَطَرَ ٱلنَّاسَ عَلَيۡهَاۚ لَا تَبۡدِيلَ لِخَلۡقِ ٱللَّهِۚ ذَٰلِكَ ٱلدِّينُ ٱلۡقَيِّمُ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعۡلَمُونَ
तो (ऐ रसूल) तुम बातिल से कतरा के अपना रुख़ दीन की तरफ किए रहो यही ख़ुदा की बनावट है जिस पर उसने लोगों को पैदा किया है ख़ुदा की (दुरुस्त की हुई) बनावट में तग़य्युर तबद्दुल (उलट फेर) नहीं हो सकता यही मज़बूत और (बिल्कुल सीधा) दीन है मगर बहुत से लोग नहीं जानते हैं