Surah Al-Ahzab Verse 19 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Ahzabأَشِحَّةً عَلَيۡكُمۡۖ فَإِذَا جَآءَ ٱلۡخَوۡفُ رَأَيۡتَهُمۡ يَنظُرُونَ إِلَيۡكَ تَدُورُ أَعۡيُنُهُمۡ كَٱلَّذِي يُغۡشَىٰ عَلَيۡهِ مِنَ ٱلۡمَوۡتِۖ فَإِذَا ذَهَبَ ٱلۡخَوۡفُ سَلَقُوكُم بِأَلۡسِنَةٍ حِدَادٍ أَشِحَّةً عَلَى ٱلۡخَيۡرِۚ أُوْلَـٰٓئِكَ لَمۡ يُؤۡمِنُواْ فَأَحۡبَطَ ٱللَّهُ أَعۡمَٰلَهُمۡۚ وَكَانَ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٗا
और चल दिए और जब (उन पर) कोई ख़ौफ (का मौक़ा) आ पड़ा तो देखते हो कि (आस से) तुम्हारी तरफ देखते हैं (और) उनकी ऑंखें इस तरह घूमती हैं जैसे किसी शख्स पर मौत की बेहोशी छा जाए फिर वह ख़ौफ (का मौक़ा) जाता रहा और ईमानदारों की फतेह हुई तो माले (ग़नीमत) पर गिरते पड़ते फौरन तुम पर अपनी तेज़ ज़बानों से ताना कसने लगे ये लोग (शुरू) से ईमान ही नहीं लाए (फक़त ज़बानी जमा ख़र्च थी) तो खुदा ने भी इनका किया कराया सब अकारत कर दिया और ये तो खुदा के वास्ते एक (निहायत) आसान बात थी