وَأَوۡرَثَكُمۡ أَرۡضَهُمۡ وَدِيَٰرَهُمۡ وَأَمۡوَٰلَهُمۡ وَأَرۡضٗا لَّمۡ تَطَـُٔوهَاۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٗا
                और तुम्हारे अधिकार में दे दी उनकी भूमि तथा उनके घरों और धनों को और ऐसी धरती को, जिसपर तुमने पग नहीं रखे थे तथा अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।
                Author: Maulana Azizul Haque Al Umari