Surah Al-Ahzab Verse 51 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Ahzab۞تُرۡجِي مَن تَشَآءُ مِنۡهُنَّ وَتُـٔۡوِيٓ إِلَيۡكَ مَن تَشَآءُۖ وَمَنِ ٱبۡتَغَيۡتَ مِمَّنۡ عَزَلۡتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيۡكَۚ ذَٰلِكَ أَدۡنَىٰٓ أَن تَقَرَّ أَعۡيُنُهُنَّ وَلَا يَحۡزَنَّ وَيَرۡضَيۡنَ بِمَآ ءَاتَيۡتَهُنَّ كُلُّهُنَّۚ وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ مَا فِي قُلُوبِكُمۡۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلِيمًا حَلِيمٗا
(आपको अधिकार है कि) जिसे आप चाहें, अलग रखें अपनी पत्नियों में से और अपने साथ रखें, जिसे चाहें और जिसे आप चाहें, बुला लें उनमें से, जिन्हें अलग किया है। आपपर कोई दोष नहीं है। इस प्रकार, अधिक आशा है कि उनकी आँखें शीतल हों और वे उदासीन न हों तथा प्रसन्न रहें उससे, जो आप उनसब को दें और अल्लाह जानता है जो तुम्हारे दिलों[1] में है और अल्लाह अति ज्ञानी, सहनशील[2] है।