يَعۡلَمُ مَا يَلِجُ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا يَخۡرُجُ مِنۡهَا وَمَا يَنزِلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ وَمَا يَعۡرُجُ فِيهَاۚ وَهُوَ ٱلرَّحِيمُ ٱلۡغَفُورُ
वह जानता है, जो कुछ घुसता है धरती के भीतर तथा जो[1] निकलता है उससे तथा जो उतरता है आकाश[2] से और चढ़ता है उसमें[3] तथा वह अति दयावान्, क्षमी है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari