قَالُواْ سُبۡحَٰنَكَ أَنتَ وَلِيُّنَا مِن دُونِهِمۖ بَلۡ كَانُواْ يَعۡبُدُونَ ٱلۡجِنَّۖ أَكۡثَرُهُم بِهِم مُّؤۡمِنُونَ
वह कहेंगेः तू पवित्र है! तू ही हमारा संरक्षक है, न कि ये। बल्कि ये इबादत करते रहे जिन्नों[1] की। इनमें अधिक्तर उन्हींपर ईमान लाने वाले हैं।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari