فَٱلۡيَوۡمَ لَا تُظۡلَمُ نَفۡسٞ شَيۡـٔٗا وَلَا تُجۡزَوۡنَ إِلَّا مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
फिर आज (क़यामत के दिन) किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम लोगों को तो उसी का बदला दिया जाएगा जो तुम लोग (दुनिया में) किया करते थे
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi