وَلَا تُجَٰدِلۡ عَنِ ٱلَّذِينَ يَخۡتَانُونَ أَنفُسَهُمۡۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ مَن كَانَ خَوَّانًا أَثِيمٗا
और उनका पक्ष न लें, जो स्वयं अपने साथ विश्वासघात करते हों, निःसंदेह अल्लाह विश्वासघाती, पापी से प्रेम नहीं करता[1]।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari