وَكَيۡفَ تَأۡخُذُونَهُۥ وَقَدۡ أَفۡضَىٰ بَعۡضُكُمۡ إِلَىٰ بَعۡضٖ وَأَخَذۡنَ مِنكُم مِّيثَٰقًا غَلِيظٗا
तथा तुम उसे ले भी कैसे सकते हो, जबकि तुम एक-दूसरे से मिलन कर चुके हो तथा उन्होंने तुमसे (विवाह के समय) दृढ़ वचन लिया है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari