Surah An-Nisa Verse 66 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Nisaوَلَوۡ أَنَّا كَتَبۡنَا عَلَيۡهِمۡ أَنِ ٱقۡتُلُوٓاْ أَنفُسَكُمۡ أَوِ ٱخۡرُجُواْ مِن دِيَٰرِكُم مَّا فَعَلُوهُ إِلَّا قَلِيلٞ مِّنۡهُمۡۖ وَلَوۡ أَنَّهُمۡ فَعَلُواْ مَا يُوعَظُونَ بِهِۦ لَكَانَ خَيۡرٗا لَّهُمۡ وَأَشَدَّ تَثۡبِيتٗا
(इस्लामी शरीयत में तो उनका ये हाल है) और अगर हम बनी इसराइल की तरह उनपर ये हुक्म जारी कर देते कि तुम अपने आपको क़त्ल कर डालो या शहर बदर हो जाओ तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा ये लोग तो उसको न करते और अगर ये लोग इस बात पर अमल करते जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है तो उनके हक़ में बहुत बेहतर होता