Surah An-Nisa Verse 91 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Nisaسَتَجِدُونَ ءَاخَرِينَ يُرِيدُونَ أَن يَأۡمَنُوكُمۡ وَيَأۡمَنُواْ قَوۡمَهُمۡ كُلَّ مَا رُدُّوٓاْ إِلَى ٱلۡفِتۡنَةِ أُرۡكِسُواْ فِيهَاۚ فَإِن لَّمۡ يَعۡتَزِلُوكُمۡ وَيُلۡقُوٓاْ إِلَيۡكُمُ ٱلسَّلَمَ وَيَكُفُّوٓاْ أَيۡدِيَهُمۡ فَخُذُوهُمۡ وَٱقۡتُلُوهُمۡ حَيۡثُ ثَقِفۡتُمُوهُمۡۚ وَأُوْلَـٰٓئِكُمۡ جَعَلۡنَا لَكُمۡ عَلَيۡهِمۡ سُلۡطَٰنٗا مُّبِينٗا
अनक़रीब तुम कुछ ऐसे और लोगों को भी पाओगे जो चाहते हैं कि तुमसे भी अमन में रहें और अपनी क़ौम से भी अमन में रहें (मगर) जब कभी झगड़े की तरफ़ बुलाए गए तो उसमें औंधे मुंह के बल गिर पड़े पस अगर वह तुमसे न किनारा कशी करें और न तुम्हें सुलह का पैग़ाम दें और न लड़ाई से अपने हाथ रोकें पस उनको पकड़ों और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और यही वह लोग हैं जिनपर हमने तुम्हें सरीही ग़लबा अता फ़रमाया