يَٰقَوۡمِ إِنَّمَا هَٰذِهِ ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا مَتَٰعٞ وَإِنَّ ٱلۡأٓخِرَةَ هِيَ دَارُ ٱلۡقَرَارِ
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed