وَإِذَآ أَنۡعَمۡنَا عَلَى ٱلۡإِنسَٰنِ أَعۡرَضَ وَنَـَٔا بِجَانِبِهِۦ وَإِذَا مَسَّهُ ٱلشَّرُّ فَذُو دُعَآءٍ عَرِيضٖ
तथा जब हम उपकार करते हैं मनुष्य पर, तो वह विमुख हो जाता है तथा अकड़ जाता है और जब उसे दुःख पहुँचे, तो लम्बी-चौड़ी प्रार्थना करने लगता है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari