Surah Al-Hujraat Verse 2 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Hujraatيَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَا تَرۡفَعُوٓاْ أَصۡوَٰتَكُمۡ فَوۡقَ صَوۡتِ ٱلنَّبِيِّ وَلَا تَجۡهَرُواْ لَهُۥ بِٱلۡقَوۡلِ كَجَهۡرِ بَعۡضِكُمۡ لِبَعۡضٍ أَن تَحۡبَطَ أَعۡمَٰلُكُمۡ وَأَنتُمۡ لَا تَشۡعُرُونَ
ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो