Surah Al-Maeda Verse 68 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Maedaقُلۡ يَـٰٓأَهۡلَ ٱلۡكِتَٰبِ لَسۡتُمۡ عَلَىٰ شَيۡءٍ حَتَّىٰ تُقِيمُواْ ٱلتَّوۡرَىٰةَ وَٱلۡإِنجِيلَ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيۡكُم مِّن رَّبِّكُمۡۗ وَلَيَزِيدَنَّ كَثِيرٗا مِّنۡهُم مَّآ أُنزِلَ إِلَيۡكَ مِن رَّبِّكَ طُغۡيَٰنٗا وَكُفۡرٗاۖ فَلَا تَأۡسَ عَلَى ٱلۡقَوۡمِ ٱلۡكَٰفِرِينَ
(हे नबी!) आप कह दें कि हे अह्ले किताब! तुम किसी धर्म पर नहीं हो, जब तक तौरात तथा इंजील और उस (क़ुर्आन) की स्थापना[1] न करो, जो तुम्हारी ओर तुम्हारे पालनहार की ओर से उतारा गया है तथा उनमें से अधिक्तर को जो (क़ुर्आन) आपके पालनहार की ओर से उतारा गया है, अवश्य उल्लंघन तथा कुफ़्र (अविश्वास) में अधिक कर देगा। अतः, आप काफ़िरों (के अविश्वास) पर दुखी न हों।