Surah Al-Mujadila Verse 4 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah Al-Mujadilaفَمَن لَّمۡ يَجِدۡ فَصِيَامُ شَهۡرَيۡنِ مُتَتَابِعَيۡنِ مِن قَبۡلِ أَن يَتَمَآسَّاۖ فَمَن لَّمۡ يَسۡتَطِعۡ فَإِطۡعَامُ سِتِّينَ مِسۡكِينٗاۚ ذَٰلِكَ لِتُؤۡمِنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦۚ وَتِلۡكَ حُدُودُ ٱللَّهِۗ وَلِلۡكَٰفِرِينَ عَذَابٌ أَلِيمٌ
किन्तु जिस किसी को ग़ुलाम प्राप्त न हो तो वह निरन्तर दो माह रोज़े रखे, इससे पहले कि वे दोनों एक-दूसरे को हाथ लगाएँ और जिस किसी को इसकी भी सामर्थ्य न हो तो साठ मुहताजों को भोजन कराना होगा। यह इसलिए कि तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमानवाले सिद्ध हो सको। ये अल्लाह की निर्धारित की हुई सीमाएँ है। और इनकार करनेवाले के लिए दुखद यातना है