Surah Al-Hashr Verse 7 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Hashrمَّآ أَفَآءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡقُرَىٰ فَلِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِي ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡيَتَٰمَىٰ وَٱلۡمَسَٰكِينِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِيلِ كَيۡ لَا يَكُونَ دُولَةَۢ بَيۡنَ ٱلۡأَغۡنِيَآءِ مِنكُمۡۚ وَمَآ ءَاتَىٰكُمُ ٱلرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَىٰكُمۡ عَنۡهُ فَٱنتَهُواْۚ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلۡعِقَابِ
अल्लाह ने जो धन दिलाया है अपने रसूल को इस बस्ती वालों[1] से, वह अल्लाह, रसूल, (आपके) समीपवर्तियों, अनाथों, निर्धनों तथा यात्रियों के लिए है; ताकि वह (धन) फिरता न रह[2] जाये तुम्हारे धनवानों के बीच और जो प्रदान कर दे रसूल, तुम उसे ले लो और रोक दें तुम्हें जिससे, तुम उससे रुक जाओ तथा अल्लाह से डरते रहो, निश्चय अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।