Surah At-Talaq Verse 1 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah At-Talaqيَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ إِذَا طَلَّقۡتُمُ ٱلنِّسَآءَ فَطَلِّقُوهُنَّ لِعِدَّتِهِنَّ وَأَحۡصُواْ ٱلۡعِدَّةَۖ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ رَبَّكُمۡۖ لَا تُخۡرِجُوهُنَّ مِنۢ بُيُوتِهِنَّ وَلَا يَخۡرُجۡنَ إِلَّآ أَن يَأۡتِينَ بِفَٰحِشَةٖ مُّبَيِّنَةٖۚ وَتِلۡكَ حُدُودُ ٱللَّهِۚ وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ ٱللَّهِ فَقَدۡ ظَلَمَ نَفۡسَهُۥۚ لَا تَدۡرِي لَعَلَّ ٱللَّهَ يُحۡدِثُ بَعۡدَ ذَٰلِكَ أَمۡرٗا
हे नबी! जब तुम लोग त़लाक़ दो अपनी पत्नियों को, तो उन्हें तलाक़ दो उनकी 'इद्दत' के लिए, और गणना करो 'इद्दत' की तथा डरो अपने पालनहार अल्लाह से और न निकालो उन्हें उनके घरों से और न वह स्वयं निकलें, परन्तु ये कि वे कोई खुली बुराई कर जायें तथा ये अल्लाह की सीमायें हैं और जो उल्लंघन करेगा अल्लाह की सीमाओं का, तो उसने अत्याचार कर लया अपने ऊपर। तुम नहीं जानते संभवतः अल्लाह कोई नई बात उत्पन्न कर दे इसके पश्चात्।